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Mathura: बिहारी जी मंदिर तोड़कर मजार बनाने के आरोपी की अर्जी खारिज Indianews18.com

By Priyank Verma Apr 17, 2024


Mathura छाता तहसील के गांव शाहपुर में श्री बिहारी जी मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान से हटाकर अभिलेखों में मंदिर के नाम पर दर्ज कराने और मंदिर तोड़कर मजार बनाने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को एडीजे चतुर्थ डाॅ. पल्लवी अग्रवाल की कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी हेमेंद्र भारद्वाज ने बताया कि शाहपुर के तत्कालीन प्रधान ने रामवीर ने 2 सितंबर 2004 में पंचायत में एक प्रस्ताव कब्रिस्तान के लिए पारित किया था। कब्रिस्तान का खसरा नंबर 108/4 व 108/5 प्रस्ताव किया गया। इसमें भूमि का रकबा दर्ज नहीं किया गया। लेखपाल, राजस्व निरीक्षक आदि ने षड्यंत्र करके 108 को 181 कर दिया। यह नंबर आबादी का था। इस नंबर में मंदिर बिहारी जी दर्ज है। पुजारी न होने के कारण मंदिर खंडहर हो गया था। बिहारी जी के मंदिर और वहां बने कुएं को जेसीबी से तोड़ दिया गया था।

15 मार्च 2020 की रात गैर संप्रदाय के 20 से 30 लोग हथियारों से लैस होकर मंदिर में घुस गए और बिहारी जी के सिंघासन को तोड़ दिया। इस स्थान पर मजार बना कर उसके चारों और खंबे लगा दिए। उस वक्त किसी ने इसका डर के कारण विरोध नहीं किया था। गांव के सुरेश इसके गवाह थे। सुबह होने पर मंदिर से जुड़े समाज के लोगों को इस बारे में जानकारी हुई तो गांव के राम अवतार ने थाना कोसीकलां में इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया।

मुकदमे में ग्राम प्रधान रामवीर सहित उप प्रधान खुर्शीद, भोला खां सहित अन्य को नामजद किया गया। पुलिस ने इस मामले में प्रधान सहित अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। प्रधान रामवीर ने इस मामले में अपनी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था।एडीजीसी के अनुसार अर्जी को खारिज कर दिया गया है।

मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद: नैतिकता और अपराध

मथुरा के छाता तहसील के गांव शाहपुर में श्री बिहारी जी मंदिर की जमीन पर उठाया गया कब्रिस्तान से विवाद का मामला सामने आया है। इस मामले में अभिलेखों में मंदिर के नाम पर दर्ज कराने और मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को एडीजे चतुर्थ डॉ. पल्लवी अग्रवाल की कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी हेमेंद्र भारद्वाज ने बताया कि शाहपुर के तत्कालीन प्रधान ने 2 सितंबर 2004 में पंचायत में एक प्रस्ताव कब्रिस्तान के लिए पारित किया था, जिसमें भूमि का रकबा दर्ज नहीं किया गया था। इस प्रस्ताव के बाद षड्यंत्र करके भूमि का रकबा बढ़ा दिया गया, जिसमें मंदिर का भी नाम शामिल था।

15 मार्च 2020 की रात, गैर संप्रदाय के लोगों ने हथियारों से लैस होकर मंदिर में घुसकर उसके सिंघासन को तोड़ दिया और मस्जिद बनाने का काम शुरू किया। गांव के लोगों ने इसके खिलाफ विरोध नहीं किया, जिससे यह अपराधिक घटना मुक्तकर रही।

पुलिस ने मामले में ग्राम प्रधान रामवीर सहित अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। रामवीर ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है।

यह मामला न केवल एक भूमि विवाद का प्रमाण है, बल्कि यह नैतिक मूल्यों और सामाजिक सद्भाव के खिलाफ भी एक संकेत है। इस तरह के घटनाओं से समाज को सचेत रहना चाहिए और सभी धर्मों के लोगों को एक-दूसरे के सम्मान और आदर के प्रति समर्पित रहना चाहिए।


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